Monday 1 July 2019

परिसीमन_क्या_होता_है_और_केंद्र_सरकार_इसे_जम्मू_कश्मीर_में_क्यों_लागू_करना_चाहती_है.

परिसीमन_क्या_होता_है_और_केंद्र_सरकार_इसे_जम्मू_कश्मीर_में_क्यों_लागू_करना_चाहती_है?



केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर में नए परिसीमन को लागू करने पर विचार कर रही है ताकि पूरे प्रदेश में क्षेत्रफल और जनसंख्या के आधार पर लोक सभा और विधान सभा सीटों का बंटवारा किया जा सके.

1) परिसीमन_का_अर्थ 


परिसीमन से तात्पर्य किसी भी राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं (राजनीतिक) का रेखांकन है. अर्थात इसके माध्यम से लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमायें तय की जाती हैं. आसान शब्दों में परिसीमन की मदद से यह तय होता है कि किस क्षेत्र के लोग किस विधान सभा या लोक सभा के लिए वोट डालेंगे?

2) भारत_में_परिसीमन_का_इतिहास


भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1952 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था. इसके बाद 1963,1973 और 2002 में परिसीमन आयोग गठित किए जा चुके हैं.भारत में वर्ष 2002 के बाद परिसीमन आयोग का गठन नहीं हुआ है.
भारत के उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2002 को परिसीमन आयोग का गठन किया गया था.

आयोग ने सिफारिसों को 2007 में केंद्र को सौंपा था लेकिन इसकी सिफारिसों को केंद्र सरकार ने अनसुना कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दखल देने के बाद इसे 2008 से लागू किया गया था. आयोग ने वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया था.

आखिर जम्मू - कश्मीर के लोगों की भारत सरकार से क्या मांगें हैं?
संविधान के अनुच्छेद 82 के मुताबिक, सरकार हर 10 साल बाद परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है. जनसंख्या के हिसाब से अनुसूचित जाति-जनजाति सीटों की संख्या बदल जाती है.

3) परिसीमन_किस_आधार_पर_निर्धारित_किया_जाता_है


परिसीमन के निर्धारण में 5 फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है. ये हैं;

1. क्षेत्रफल
2. जनसंख्या
3. क्षेत्र की प्रकृति
4. संचार सुविधा
5. अन्य कारण

4) जम्मू_कश्मीर_में_परिसीमन_की_जरुरत_और_विवाद


2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू संभाग की जनसँख्या लगभग 54 लाख है, जो कि राज्य की 43% आबादी है. जम्मू संभाग 26,200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है यानी राज्य का लगभग 26% क्षेत्रफल जम्मू संभाग के अंतर्गत आता है जबकि यहां विधानसभा की कुल 37 सीटें हैं.

कश्मीर संभाग की जनसँख्या 68.88 लाख है, जो राज्य की जनसँख्या का 55% हिस्सा है. कश्मीर संभाग का क्षेत्रफल राज्य के क्षेत्रफल लगभग 16% प्रतिशत है जबकि इस क्षेत्र से कुल 46 विधायक चुने जाते हैं.

ज्ञातव्य है कि कश्मीर में 349 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर एक विधानसभा है, जबकि जम्मू में 710 वर्ग किलोमीटर पर.

राज्य के 58.33% क्षेत्रफल वाले लद्दाख संभाग में केवल 4 विधानसभा सीटें हैं.

ऊपर के आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि राज्य में जनसँख्या और क्षेत्रफल के आधार पर सीटों का बंटवारा असंतुलित है.

5)  केंद्र_परिसीमन_क्यों_चाहता_है 


दरअसल कश्मीर का क्षेत्र अलगाववादियों के प्रभाव वाला क्षेत्र है और इस कारण यहाँ से केवल नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेता ही चुनाव जीत पाते हैं और कश्मीर में सरकार बनाने में इसी क्षेत्र के नेताओं का हाथ होता और प्रदेश का मुख्यमंत्री भी कश्मीर से ही बनता है जो कि भारत के संविधान और नेताओं को पसंद नही करते हैं.

अब केंद्र सरकार कश्मीर से विधान सभा और लोक सभा सीटें घटाकर जम्मू क्षेत्र में सीटें बढ़ाना चाहती है क्योंकि जम्मू क्षेत्र पर बाकी पार्टी का प्रभाव रहता है. यदि जम्मू क्षेत्र में सीटें बढ़ जाएँगी तो जम्मू और प्रदेश का मुख्यमंत्री भारत की पसंद का भी हो सकता है जो कि राज्य के विकास को बढ़ाने के लिए बहुत ही जरूरी है.


6) परिसीमन_कैसे_किया_जायेगा


यदि केंद्र सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन किया तो इसके लिए संसद में बिल लाना होगा. राज्य में राष्ट्रपति शासन होने के कारण इसे राज्य के संविधान के अनुसार यहां से मंजूरी मिल जाएगी.

सारांश के तौर पर यह कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार के द्वारा कश्मीर में परिसीमन लागू करने से राज्य में बीजेपी समर्थित सरकार की स्थापना के अवसर बढ़ जायेंगे और राज्य में एससी और एसटी समुदाय के लिए सीटों के आरक्षण की नई व्यवस्था लागू हो जाएगी. इस प्रकार कश्मीर में परिसीमन के पीछे का उद्येश्य राज्य की राजनीति से अलगाववादियों के प्रभाव को कम करना भी है.




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